सुसाइड करना चाहता था कीवी खिलाड़ी, मैच फिक्सिंग के चलते डिप्रेशन का हुआ शिकार; अब बताई आप बीती

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उतार-चढ़ाव से भरे क्रिकेट करियर में लू विंसेंट ने साल 2001 में पर्थ के वाका स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में शतक और अर्धशतक लगाकर दुनिया को चौंका दिया था। अपनी प्रतिभा के दमपर जल्द ही विंसेंट न्यूजीलैंड टीम के सभी फॉर्मेट के नियमित ओपनर बन गए। साल 2005 में श्रीलंका के खिलाफ 224 रन की पारी खेल कर अपना डंका बजवाया।

HighLights

  1. मैच फिक्सिंग के आरोप में करियर हुआ तबाह
  2. 29 साल की उम्र में लिया क्रिकेट से संन्यास
  3. इंडियन क्रिकेट लीग के दौरान हुई थी फिक्सिंग की जांच

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर लू विंसेंट ने एक बड़ा खुलासा किया है। विंसेंट ने कहा कि वे भारत में फिक्सिंग की दुनिया में दाखिल हुए और उन्हें इस दलदल में फंसाया गया। पूर्व बल्लेबाज ने बताया कि इंडियन क्रिकेट लीग में खेलने के दौरान वो कैसे मैच फिक्सिंग की दुनिया में आ गए थे। उन्होंने बताया कि उस समय एक गिरोह का हिस्सा होने से उन्हें अपनेपन का एहसास हुआ था, क्योंकि विंसेंट डिप्रेशन से जूझ रहे थे।

उन्होंने आखिरी बार 29 साल की उम्र (2007) में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला और फिर क्रिकेट करियर को अलविदा कह दिया। विंसेंट का इंडियन क्रिकेट लीग में खेलना उनके करियर के लिए घातक सिद्ध हुआ। चंडीगढ़ लायंस से जुड़ने के बाद उन्हें न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के साथ अपना अनुबंध खोना पड़ा। साल 2013 में, यह सामने आया कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) भ्रष्टाचार निरोधक इकाई (ACU) द्वारा ICL सहित विभिन्न लीगों में मैच फिक्सिंग के लिए उन्हें दोषी पाया गया। 2014 में, उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया और इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड मैच फिक्सिंग के लिए 11 बार आजीवन प्रतिबंध लगाया।

बेटी से होना पड़ा था अलग

हालांकि, पिछले साल प्रतिबंध को संशोधित कर उन्हें घरेलू क्रिकेट में शामिल होने की अनुमति दे दी गई। टेलीग्राफ को दिए एक इंटरव्यू में उन्हें फिक्सिंग को लेकर खुलासा किया है। विंसेंट ने आरोप सिद्ध होने के बाद परिवार के सदस्य उनके खिलाफ हो गए और उन्होंने खुलासा किया कि वह अपनी बेटी से अलग हो गए थे। विंसेंट ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया और स्वीकार किया कि उसने अपनी जान लेने के बारे में सोचा था।

आत्महत्या का आया ख्याल

विंसेंट ने कहा, यह मैच फिक्सिंग, फिर पारिवारिक न्यायालय और मेरे बच्चों के नॉक-ऑन प्रभाव की तरह था। यह बहुत ही दर्दनाक था। चार साल पहले भी, मैं सोचता था, ‘जीवन का क्या मतलब है?’ आत्महत्या करने का ख्याल आया था। जब मैं 27 साल का था और यह हमेशा मेरे दिमाग में रहता था। मैं समझता हूं कि लोग ऐसा क्यों करते हैं। आप दर्द से दूर रहना चाहते हैं।

‘मैं किसी गिरोह का हिस्सा’

विंसेंट ने आगे कहा, मेरे अंदर प्रोफेशनल खिलाड़ी बनने की मानसिक क्षमता नहीं थी, इसलिए मैं 28 साल की उम्र में डिप्रेशन में चला गया। फिर मैं भारत चला गया और वहां मुझे फिक्सिंग की दुनिया में घसीटा गया। मैं खुद को गैंग का हिस्सा समझता था। मुझे लगा रहा था कि मैं किसी गिरोह का हिस्सा हूं। इससे मुझे बेहतर महसूस हुआ, क्योंकि मैं सोच रहा था कि मैं एक मैच-फिक्सिंग गिरोह का हिस्सा हूं। मैं ऐसे लोगों के साथ हूं जो मेरा साथ देंगे और कोई भी हमारे सीक्रेट नहीं जानता था।

घटना की शुरुआत: आरोप और मानसिक दबाव –

मैच फिक्सिंग के आरोप: कीवी क्रिकेटर (जिसका नाम अब तक सार्वजनिक नहीं हुआ है) पर झूठे आरोप लगे।समाज और क्रिकेट जगत का दबाव: खिलाड़ी को आलोचना और संदेह का सामना करना पड़ा, जिसने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाला।

मानसिक स्वास्थ्य पर असर: डिप्रेशन –

गहरा अवसाद (Depression): फिक्सिंग के आरोपों और अनावश्यक दबाव के कारण खिलाड़ी मानसिक रूप से टूट गए।अकेलापन और निराशा: ऐसे समय में खिलाड़ी को सहारा और विश्वास की कमी महसूस हुई।

आत्महत्या के विचार (Suicidal Thoughts) –

खिलाड़ी ने आत्महत्या करने के बारे में सोचा।यह स्थिति उनके जीवन के सबसे कठिन दौरों में से एक थी।

संघर्ष से उबरने की शुरुआत –

परिवार और दोस्तों का सहारा: खिलाड़ी ने अपने करीबियों के समर्थन से बाहर निकलने का प्रयास किया।मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान: उन्होंने अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए मदद ली और फोकस दोबारा खेल पर किया।

उदास क्रिकेट खिलाड़ी के लिए प्रेरणादायक –

“खामोशियों में छिपा है एक नया सूरज,
हार के अंधेरों से लड़ना ही है मुनासिब।
हर मुश्किल के बाद है जीत का मंज़र,
गिर कर भी उठे तो तू ही सिकंदर।”

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